उत्तराखण्ड राज्य एक जैविक विविधतायुक्त तथा परिस्थितिकीय दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील राज्य है, जिसका अधिकांश भाग पर्वतीय है। यहा की भूमि तथा मिट्टी पथरीली एवं भूमि कटाव से प्रभावित है। राज्य के करीब 12000 से अधिक ग्लेशियर तथा 8 बड़ी नदियों का एक संग्रहण क्षेत्र समस्त उत्तर भारतीय क्षेत्र की जीवन रेखा है। कटते पेड़ और सिमटते जंगल, अवेज्ञानिक ग्रामीण व्यवस्था और प्राकृतिक आपदाओं आदि का दवाब इस क्षेत्र पर लगातार बना हुआ है। साथ ही बढ़ती जनसंख्या, बेहतर जीवन की आपाधारी, प्राकृतिक संसाधनों पर दवाब आदि भी इस स्थिति को लगातार और विकट बना रहे है। इस स्थिति की गंभीरता को ध्यान में रख कर उत्तराखण्ड राज्य में जलागम धारणा पर आधारित नियोजन को क्षेत्र के समग्र विकास हेतु महत्व दिया जा सकता है। क्षेत्र में 8 जलागम, 116 उप जलागम सूक्ष्म जलागमों (हरिद्वार जिले के अलावा) को चिन्हित किया गया है।
राज्य में समेकित जलागम विकास योजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस हेतु राज्य स्तर पर जलागम प्रबन्ध निदेशालय की स्थापना की गयी जिससे समस्त जलागम परियोजनाओं का समन्वय, नियोजन तथा अनुश्रवण एवं मूल्यांकन नोडल विभाग के रूप में किया जा सके।
भारत सरकार, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भूमि संसाधन विभाग नई दिल्ली द्वारा जलागम विकास परियोजनाओं के लिए समान मार्गदर्शी सिद्वान्त 2008 वर्ष 2008-09 में जारी किये गये है। इस कार्यक्रम को समेकित जलागम प्रबन्ध कार्यक्रम (IWMP) नाम दिया गया वित्तीय वर्ष 2015-16 से इसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलागम विकास (PMKSY-WD) के नाम में परिवर्तित किया गया है।, इस योजना की मुख्य विशेषतायें निम्न हैः-
• समर्पित संस्थागत व्यवस्थाये।
• समर्पित संस्थागत को वित्तीय सहायता (भारत सरकार द्वारा)
• कार्यक्रम की अवधि (4 वर्ष से 7 वर्ष)
• आजीविका अभिमुखीकरण (9% धनराशि मात्राकृत)
• सामूहिक दृष्टिकोण (Cluster Approach)
• वैज्ञानिक आयोजना
• क्षमता विकास
• बहुआयामी दृष्टिकोण
योजना के मुख्य घटक
• सामुदायिक सहभागिता के द्वारा जलागम विकास तथा प्रबन्धन व सामाजिक जागरूकता;
• जीविकोपार्जन गतिविधियों यथा कृषि पद्धति में सुधार, ग्रामीण भूमिहीन लोगों के लिए आय-अर्जक गतिविधियों, उत्पादों के लिए बाजार की उपलब्धता में सहयोग करना।
• संस्थागत विकास के अन्तर्गत जलागम समितियों का गठन, स्वयं सहायता समूहों का गठन तथा उनका क्षमता विकास आदि।
परियेजना प्रबन्धन
जलागम विकास परियोजनाओं के मुख्य कार्यकलापों को तीन चरणों के माध्यम से क्रियान्वित किया जायेगा।
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राज्य में योजना की वर्तमान स्थिति :
समान मार्गदर्शी सिद्धान्तों (Common Guidelines) के अनुसार ‘जलागम प्रबन्ध निदेशालय उत्तराखण्ड को राज्य स्तरीय नोडल एजेन्सी (State Level Nodal Agency) नामित किया गया है, तथा 19 दिसम्बर 2008 में राज्य के विभिन्न विभागों को प्रतिनिधित्व देते हुए समिति का गठन किया गया, जिसमें एन0आर0ए0ए0 राज्य में स्थित भारत सरकार के प्रतिष्ठित संस्थानों तथा प्रतिष्ठित स्वयं सेवी संस्थाओं को भी सम्मिलित किया गया है।
समेकित जलागम प्रबन्ध कार्यक्रम के अर्न्तगत राज्य में प्राथमिकता के आधार पर अनुपचारित सूक्ष्म जलागम क्षेत्रों को उपचार हेतु चयनित किया गया है। राज्य में जनपद हरिद्वार को छोड़कर कुल 1110 जलागम क्षेत्र चयनित है। कुल अनुपचारित 537 सूक्ष्म जलागमों में से 409 सूक्ष्म जलागम 3200 मी0 ऊंचाई से नीचे चयनित किये गये है, जिनका कुल क्षेत्रफल 18,11,887 हैक्टेयर है और इसक अतिरिक्त हरिद्वार जिले के 1,20,000 हैक्टेयर क्षेत्र को जलागम उपचार हेतु प्राथमिकता दी गयी है। इन सूक्ष्म जलागमों को भूमि संसाधन विभाग, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदण्डों के अनुसार प्राथमिकता के आधार पर उपचार हेतु लिया गया है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना-जलागम विकास घटक
के अन्तर्गत वर्ष 2013-14 तक के स्वीकृत परियोजनाओं का संक्षिप्त विवरण
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